Mosquitoes: कई लोगों को मच्छर ज्यादा परेशान करते हैं, जबकि कुछ को मच्छरों से इतनी ज्यादा परेशानी नहीं होती है. कुछ लोग मच्छरों के काटने के प्रति संवेदशनशील होते हैं. वे शिकायत करते हैं कि मच्छर उनके आसपास भिनभिना रहे हैं, जबकि उनके आसपास के लोगों को ऐसा कम लगता है. क्या ऐसा होता है कि कुछ लोगों को मच्छर ज्यादा ही परेशान करते हैं या फिर ये सिर्फ उनका भ्रम मात्र है? आइए जानते हैं. 


शोधकर्ताओं ने क्या कहा? 


नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इसका कारण खोजते हुए यह नतीजा निकाला है कि कुछ लोग मच्छरों के लिए वाकई चुंबक की तरह काम करते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन लोगों के शरीर से एक खास तरह की गंध निकलती है जो मच्छरों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यह अध्ययन पुरानी धारणाओं को तोड़ता साबित हो रहा है. जिसमें लोगों के खून के प्रकार, खून में शर्करा की मात्रा, लहसुन या फिर केले खाने या फिर औरत तक होने की वजह मानी जाती है. इस अध्ययन को सेल जर्नल में प्रकाशित किया गया है. 


कर्बोक्सिल एसिड का कमाल 


अध्ययन में बताया गया है कि मच्छर उन लोगों के प्रति ज्यादा आर्कषित होते हैं, जिनकी त्वचा में कार्बोक्सिल एसिड का स्तर ज्यादा होता है. शोधकर्ता कहते हैं कि इंसान की त्वचा के इन फैटी एसिड का मच्छरों के लिए चुंबक होने से बहुत पुराना और गहरा नाता है. तीन साल के अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को कई दिनों तक दिन में छह बार बाहों में नायलॉन की स्टॉकिंग पहनाई. इसके बाद कुछ समय बाद, शोधकर्ताओं ने इस नायलॉन के साथ परीक्षण किया. 


यह किया प्रयोग में 


शोधकर्ताओं ने ऑलफैक्टोमीटर का उपयोग किया, जिसमें एक चेंबर के दो हिस्से थे. इन चेंबर में हर एक में एक स्टॉकिंग थी और एडिस एगिप्टी मच्छर जैसे डेंगू, पीला ज्वर और चिकनगुनिया फैलाने के वाले थे. रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने देखा कि एडिस एगिप्टी मच्छर एक खास प्रतिभागी की ओर ज्यादा आकर्षित हुए. दूसरे स्थान वाले प्रतिभागी की तुलना में यह चार गुना ज्यादा आकर्षक था.


आपको जानकर हैरानी होगी कि यह सबसे कम आकर्षक प्रतिभागी की तुलना में सौ गुना ज्यादा आकर्षक था. इस शोध में उन्होंने पाया कि मच्छरों को आकर्षित करने वाले प्रतिभागियों में कार्बोक्सिलिक ऐसिड का स्तर बहुत ज्यादा था. स्किन पर रहने वाले हेल्दी बैक्टीरिया इन एसिड को खाते हैं, जिससे हमारी त्वचा में एक गंध पैदा होती है. शोधकर्ताओं ने मच्छरों की जीन संपादित कर, उनकी सूंघने की क्षमता को खत्म करने का प्रयास किया. इसके बावजूद भी वे मच्छर उन्ही लोगो की ओर आकर्षित होते रहे. 


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