पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कार्यकर्ताओं के सामने पहली बार मास्क पहनने को लेकर सफाई दी. नीतीश ने कहा कि कोरोना फैलने के शुरुआती दौर में बताया गया था कि सिर्फ मरीज़ और डॉक्टर को ही मास्क पहनना ज़रूरी है इसलिए उन्होंने भी बिहार विधान सभा में सबको मास्क पहनने के लिए मना किया था. लेकिन अब नीतीश खुद बता रहे कि कब और कैसे मास्क पहनना है. इसके पहले पीएम मोदी ने टीवी पर गमछा पहन मास्क लगाने की ज़रूरत के बारे में बताया था.


नीतीश ने कहा कि 'अभी भी आपको मास्क का प्रयोग करना है .जब शुरू में मार्च में खबर आई और विधानसभा के अध्यक्ष ने सभी दलों के साथ बैठक कर तय कर दिया कि विधानमंडल का सत्र समाप्त कर दिया जायेगा एक दिन में 16 मार्च को बजट पारित कर के बजट पारित कर दिया गया था. उस समय जो बताया गया था विशेषज्ञ के द्वारा बताया गया था कि जिनकी तबियत खराब हो वो मास्क पहनेंगे और जो इलाज करेंगे वो मास्क पहनेंगे.'


नीतीश का कहना था कि वहीं बाद में 'ये बात सामने आई कि मास्क सबको पहनना चाहिए और देखा गया कि जापान जैसे देशों में की वहां पर लोग सामान्य तौर पर मास्क पहनते हैं और हम जो बोधगया में देखते हैं कि जो बौद्ध धर्मावलंबियों का आना होता है या अन्य प्रकार के पर्यटक जो वहां आते हैं तो ये सब मास्क रखते हैं. हमलोग भी गमछा रखते हैं. हम जैसे ही बाहर निकलें और लोगों से मिलना जुलना हो, तो उसे मास्क के रूप में नाक के ऊपर रखिए.'


नीतीश ने तेजस्वी का नाम लिए बगैर निशाना साधा


नीतीश ने तेजस्वी पर निशाना साधते हुए कहा 'हर प्रकार का इंतजाम करते हुए प्रत्येक व्यक्ति के भोजन पर 14 दिनों के अंदर 17 सौ रुपये से भी ज्यादा खर्च किया गया है. और अन्य प्रकार की जो सुविधा दी गई हैं. उसपर भी खर्च हुआ है. क्वीरेंटीन सेंटर में रखे गए लोगों पर राज्य सरकार के तरफ से औसतन 53 सौ रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किया गया .और ये क्या क्या बयान देता है, जिसको कोई जानकारी नहीं है, जिसको किसी की सेवा नहीं करनी है, केवल बयानबाजी करनी है.' हालांकि इस दौरान उन्होंने किसी का नाम लेकर कुछ नहीं कहा.


कोरोना से डरें नहीं बल्कि सचेत रहें


कोरोना को लेकर नीतीश का कहना है 'हम एक एक बात आपको बता देना चाहते हैं. अभी भी थोड़ा सचेत रहने की जरूरत है. अब लॉकडाउन नहीं है तो जांए और अपना काम करें लेकिन आपको सचेत रहना है और लोगों को भी सचेत करना है. कोई बीमारी आ गई तो डरना नहीं है, इस कोरोना वायरस के कारण लोगों से दूरी बनाकर रखना है. कम से कम दो गज की दूरी जरूरी है. जिनकी उम्र 65 वर्ष से ज्यादा है जो गर्भवती महिला है, 10 साल से कम उम्र के बच्चों को और अन्य प्रकार के बीमारी से ग्रसित जो लोग हैं इन चार प्रकार के लोगों को घर में रहना चाहिए.'


क्वारेंटीन कैंप की ज़रूरत नहीं.


नीतीश का मानना है कि अब क्वारेंटीन सेंटर की जरूरत नहीं पड़ेगी अब जो लोग पीड़ित होंगे उनके लिए आइसोलेशन सेंटर बनाकर उनको रखेंगे. नीतीश का कहना है कि उनको घर में नहीं रहना है अगर बिमारी निकली तो उन्हें आइसोलेशन सेंटर में अगर तबियत बिगड़ गई तो अनुमंडल के अस्पताल में इंतजाम किया गया है. अगर तबियत ज्यादा खराब हो गई तो उन्हें नालंदा, भागलपुर और गया के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज मिलेगा.



यह भी पढ़ेंः

अमित शाह के वार पर TMC का पलटवार, ममता बनर्जी की पुरानी तस्वीर शेयर कर इस घटना की दिलाई याद

कोरोना संकट: जानिए, देश में अब तक कितने लाख नमूनों की हुई जांच, रोज़ हो रहे हैं 1.4 लाख से ज्यादा टेस्ट