महाराष्ट्र: ठाकरे सरकार का प्रतीकात्मक बकरीद मनाने का फरमान गलत, कांग्रेस नेता आरिफ खान ने अपनी ही सरकार को घेरा
महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार का प्रतीकात्मक बकरी ईद मनाने का फ़रमान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ़ नसीम खान ने सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है.
मुंबई: महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन की सरकार में विवाद का एक और अध्याय लिखा जा रहा है. संजय निरुपम के बाग़ी तेवर के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ़ नसीम खान ने सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है. वजह ठाकरे सरकार का प्रतीकात्मक बकरीद मनाने का फ़रमान है.
आरिफ़ नसीम खान ने राज्य सरकार के प्रतीकात्मक बकरीद मनाने और क़ुर्बानी के ऑनलाइन बकरे ख़रीदने के निर्णय का विरोध किया. नसीम खान ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा कि सरकार अपने निर्णय को बदलकर बकरीद सुरक्षित रहकर मनाने की इजाज़त दी जाए. साथ ही नसीम खान ने कहा, ''सरकार ने इस बार गलती की है जिससे तमाम मुस्लिम नेता, धर्मगुरु और मुस्लिम समुदाय ख़ासा नाराज़ हैं.''
नसीम खान का कहना है कि सरकार ने एक तरफ़ ऑनलाइन बकरा ख़रीदने के निर्देश दिए लेकिन इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. हम बकरे ऑनलाइन ढूंढें कहां से किसी को पता नहीं. फिर बकरा ख़रीदने से पहले उसकी सेहत, वजन सब कुछ देखना पड़ता है उसके बाद ही क़ुर्बानी दी जाती है. ऐसे इंटरनेट पर फ़ोटो देखकर क़ुर्बानी के लिए बकरे नहीं ख़रीदे जा सकते.
नसीम खान ने आगे कहा, ''अगर सरकार सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य नियमों का पालन कर गणेश उत्सव मानाने की इजाज़त दे सकती तो नियमों का पालन करके बकरीद भी मनाने दे. इस्लाम प्रतीकात्मक क़ुर्बानी देने की मंज़ूरी नहीं देता तो हम कैसे प्रतीकात्मक बकरीद मनाए?''
नसीम खान ने सरकार को घेरते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की फैसला तुरंत बदला जाए और सभी मुस्लिम नेता, धर्मगुरु और मिसिल समुदाय के लोगों से मुलाक़ात कर ईद को लेकर सही फ़ैसला करें. उनका कहना है कि सरकार में शामिल नुमाइंदों ने बकरीद के त्योहार की सही जानकारी या जन समुदाय की भावना ठीक से मुख्यमंत्री के सामने रखी नहीं इसीलिए इस तरह का तुग़लक़ी फ़रमान जारी किया गया है. यानि नसीम खान सीधे-सीधे अपनी पार्टी के मंत्री और राज्य सरकार को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.
आरिफ़ नसीम खान के इस बयान के बाद अब महाराष्ट्र में जमकर राजनीति हो रही है. अब बीजेपी से लेकर एमआईएम तक इस मामले में कूद पड़े है. एमआईएम के सांसद इम्तियाज़ जलील ने कहा, ''हर त्योहार का एक महत्व होता है. बकरीद के दिन क़ुर्बानी की परंपरा है और वो हम पुरी करके रहेंगे. हम इस त्योहार को बनाने के हमारे निर्णय पर क़ायम है. सरकार को इस पर कोई हल निकालना हो तो वो हमसे चर्चा करे.''
वहीं मुस्लिम नेताओं के इस मांग को ग़लत बताकर बीजेपी ने सभी पार्टियों से सरकार का साथ देने की अपील की है. विरोधी पक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा, ''कोरोना की इस संकट की घड़ी में हम सब ने सरकार का साथ देना चाहिए. प्रतीकात्मक क़ुर्बानी देकर ही बकरी ईद मनाए.''
वहीं एनसीपी प्रमु़ख शरद पवार ने मुस्लिम नेताओं ने संयम रखने की अपील की. शरद पवार ने कहा, ''कोरोना बढ़े नहीं ये दुआ हम सब की ज़िम्मेदारी है. रमज़ान की तरह ही इस बार हमारे मुस्लिम भाई योग्य निर्णय लेंगे इसका मुझे विश्वास है.''
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