Olympics 2024: अमन सहरावत ने जीता ब्रॉन्ज, कुश्ती में कर दिखाया ऐतिहासिक कारनामा; 16 सालों से चली आ रही विरासत कायम
Paris Olympics 2024: भारत के अमन सहरावत ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है. यह पेरिस ओलंपिक्स में भारत का कुल छठा मेडल है.
Aman Sehrawat wins Bronze Medal: भारत के अमन सहरावत ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है. उन्होंने पुरुषों की 57 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में प्यूर्टो रीको के पहलवान को 13-5 के बड़े अंतर से हराकर भारत का परचम लहराया है. यह पेरिस ओलंपिक्स में भारत का कुल छठा मेडल है. भारतीय एथलीट अब तक एक सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज समेत कुल 6 मेडल जीत चुके हैं. बता दें कि अमन 2024 के ओलंपिक खेलों में भारतीय दल में शामिल अकेले पुरुष पहलवान थे और अपने ओलंपिक्स डेब्यू में ही ब्रॉन्ज मेडल जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया है.
ब्रॉन्ज मेडल मैच में शुरुआती बढ़त प्यूर्टो रीको के पहलवान ने बनाई थी, लेकिन परिस्थितियों को भांपते हुए अमन सहरावत ने जोरदार वापसी की. भारतीय पहलवान पहला राउंड समाप्त होने तक 4-3 से आगे चल रहे थे. अमन ने दूसरे राउंड में एकतरफा खेल दिखाया और अपने प्रतिद्वंदी को घुटनों पर लाने में सफल रहे. अंत में 21 वर्षीय अमन सहरावत ने 13-5 के अंतर से मैच जीता.
16 साल की विरासत को रखा कायम
बता दें कि भारत साल 2008 बीजिंग ओलंपिक्स से ही कुश्ती में हर बार ओलंपिक मेडल जीतता आ रहा है. 2008 में सुशील कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था. सुशील ने उसके बाद 2012 में अपने मेडल का रंग बदल कर सिल्वर जीता था और उसी साल योगेश्वर दत्त ने ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया था. जब 2016 रियो ओलंपिक्स की बारी आई तो साक्षी मलिक ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर परचम लहराया और साथ ही वो ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थीं. 2020 में रवि दहिया और बजरंग पूनिया तो अब अमन सहरावत ने यह विरासत कयम राखी है.
2008 बीजिंग ओलंपिक्स - सुशील कुमार (ब्रॉन्ज)
2012 लंदन ओलंपिक्स - सुशील कुमार (सिल्वर), योगेश्वर दत्त (ब्रॉन्ज)
2016 रियो ओलंपिक्स - साक्षी मलिक (ब्रॉन्ज)
2020 टोक्यो ओलंपिक्स - रवि दहिया (सिल्वर), बजरंग पूनिया (ब्रॉन्ज)
2024 पेरिस ओलंपिक्स - अमन सहरावत (ब्रॉन्ज)
माता-पिता को समर्पित किया मेडल
अमन सहरावत ने मेडल जीतने के बाद अपनी ऐतिहासिक जीत माता-पिता को समर्पित की है. उन्होंने कहा कि उनकी यह जीत माता-पिता और पूरे देशवासियों को समर्पित है. बता दें कि अमन की उम्र अभी महज 21 वर्ष है और अपने पहले ओलंपिक्स में ही मेडल जीतकर आना उनके और उनके परिवार और सभी देशवासियों के लिए गौरव का विषय है.
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