Avni Lakhera Wins Gold Medal: अवसाद, संघर्ष और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने की अवनि की कहानी
Avni Lakhera Wins Gold Medal: जयपुर की 19 वर्षीय निशानेबाज अवनि लेखरा पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं. अवनि 20 फरवरी 2012 को एक कार दुर्घटना की शिकार हो गई थीं.
Avni Lakhera Wins Gold Medal: फरवरी 2012 में एक सड़क दुर्घटना के बाद अवनि (Avani Lekhara) के कमर के नीचे के शरीर को लकवा मार गया था. उसके बाद से टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympic) में स्वर्ण पदक जीतने तक का उनका सफर अवसाद से निकलकर संघर्ष करने और दृढ़ संकल्प से आगे बढ़ने की सफल कहानी बन गया है. यह सफलता की ऐसी कहानी है जिसमें उनके पिता के पास अपनी खुशी बयान करने के लिए शब्द तक कम पड़ गए हैं. अवनि ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक में महिलाओं की आर-2 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 में पहला स्थान हासिल करके स्वर्ण पदक जीता. जयपुर की यह 19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं.
अवनि के पिता प्रवीण लेखरा ने बेटी की सफलता पर कहा कि उनके पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं. प्रवीण यहां राजकीय सेवा में हैं. अवनि 20 फरवरी 2012 को एक कार दुर्घटना की शिकार हो गई थीं, जब वह केवल 11 साल की थीं. इस दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी को गहरी चोट लगी और उनके कमर के नीचे के शरीर को लकवा मार गया. उसके बाद से वह व्हीलचेयर के सहारे हैं. प्रवीण लेखरा ने कहा, 'दुर्घटना से पहले वह बहुत सक्रिय थी और हर गतिविधि में भाग लेती थी लेकिन दुर्घटना ने उसकी जिंदगी बदल दी. वह अपनी हालत पर गुस्से में थी और शायद ही किसी से बात करना चाहती थी. बदलाव के लिए, मैं उसे जयपुर के जगतपुरा में जेडीए शूटिंग रेंज में ले गया, जहां उसमें शूटिंग में रुचि पैदा हुई.’
अभिनव बिंद्रा की जीवनी
प्रवीण ने बताया कि उन्होंने अवनि को शूटर अभिनव बिंद्रा की जीवनी भी पढ़ने के लिए दी और उसे पढ़ने के बाद अवनि के मन में ख्याल आया कि वह शूटिंग भी कर सकती और अप्रैल 2015 से वह लगभग नियमित रूप से शूटिंग रेंज में जाने लगीं. पिता के मुताबिक हालांकि शुरुआत में उसे व्हीलचेयर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा जो कि मानदंडों के मुताबिक नहीं थी. इसके अलावा बंदूक और शूटिंग किट भी उपलब्ध नहीं थी.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, कोच ने पूरा सहयोग दिया और उसने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. अपने दृढ़ संकल्प के साथ, उसने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक और 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता. यह सिर्फ शुरुआत थी और आज उसने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है, जिसकी बहुत उम्मीद थी.’ जब से उनकी बेटी के जरिए देश का नाम रौशन करने की खबर आई, तब से लेखरा के पास फोन कॉल की बाढ़ आ गई है.
अशोक गहलोत ने दी बधाई
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, 'टोक्यो पैरालंपिक में राज्य की अवनि लेखरा को स्वर्ण जीतने पर तीन करोड़ रुपये, देवेंद्र झाझड़िया को रजत जीतने पर दो करोड़ रुपये और सुंदर सिंह गुर्जर को कांस्य पदक जीतने पर एक करोड़ रुपये की राशि इनाम स्वरूप प्रदान की जाएगी.' उन्होंने कहा, 'तीनों खिलाड़ियों को पहले से ही राज्य सरकार के वन विभाग में एसीएफ के पद पर नियुक्ति दी हुई है. राज्य के खिलाड़ियों ने पदक जीतकर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है, हमें उन पर बेहद गर्व है.'
गहलोत ने खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा, ‘जयपुर की अवनि लेखरा को निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लिए इतिहास रचने के लिए हार्दिक बधाई. पूरे देश को उन पर बहुत गर्व हैं. यह भारतीय खेलों के लिए बहुत अच्छा दिन है.’ उन्होंने कहा, ‘हमें राजस्थान के पैरालंपिक भाला फैंकने वाले देवेंद्र झाझड़िया पर बहुत गर्व है जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक खेल में सिल्वर पदक और सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पदक जीते. यह एक अद्भुत क्षण है.’
गहलोत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पदक विजेता खिलाड़ियों को ‘आउट ऑफ टर्न पॉलिसी’ के आधार पर राजकीय सेवाओं में नियुक्तियां दी जा रही हैं. टोक्यो पैरालंपिक खेलों में मेडल जीतने वाले तीनों खिलाड़ी अवनि लेखरा, देवेंद्र झाझड़िया और सुंदर गुर्जर को राज्य सरकार ने आउट ऑफ टर्न आधार पर वन विभाग में सहायक वन संरक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान की है.
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