Paris Olympics 2024: 336 मैच, 4 ओलंपिक और... भारत के दिग्गज ओलंपियन की कहानी; खोले कई बड़े राज
Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक्स में भारत को हॉकी में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वाले पीआर श्रीजेश ने टीम इंडिया की ब्रॉन्ज मेडल जीतने की कहानी को बयां किया है.
PR Sreejesh Retirement Hockey: भारतीय हॉकी टीम ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था. 2020 टोक्यो ओलंपिक और अब 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों में टीम इंडिया ने स्पेन को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीतकर बड़ा कारनामा कर दिखाया है. दोनों बार गोलकीपर पीआर श्रीजेश टीम का हिस्सा रहे, लेकिन पेरिस ओलंपिक्स की ऐतिहासिक जीत के बाद उन्होंने अपने हॉकी करियर को अलविदा कह दिया है. अब श्रीजेश ने बताया कि आखिर ब्रॉन्ज मेडल मैच से पूर्व ड्रेसिंग रूम का माहौल कैसा था?
टीम का मनोबल गिरा?
पीटीआई को दिए इंटरव्यू में पीआर श्रीजेश से पूछा गया कि सेमीफाइनल में जर्मनी के खिलाफ हार के बाद क्या टीम का मनोबल गिर गया था. इस पर श्रीजेश ने कहा, "बिल्कुल नहीं. मुझे लगता है कि टीम के सभी 11 खिलाड़ी पहले भी इस तरह की परिस्थिति से गुजर चुके थे, इसलिए यह दूसरे अवसर की तरह था. पेरिस रवाना होने से पहले ही टीम के अंदर एक विश्वास था कि हम सिल्वर या गोल्ड की लड़ाई लड़ सकते हैं. पूरे टूर्नामेंट में हम उसी आत्मविश्वास से खेले."
ब्रॉन्ज मेडल मैच से पहले क्या हुआ?
पीआर श्रीजेश ने बताया कि स्पेन के खिलाफ ब्रॉन्ज मेडल मैच से पूर्व ड्रेसिंग रूम में सभी खिलाड़ियों ने बात की थी. उन्होंने बताया कि सभी खिलाड़ियों के सामने स्थिति स्पष्ट थी कि वो मेडल जीतकर यहां से जाएं या खाली हाथ स्वदेश लौटना चाहते हैं. टीम पर कोई दबाव नहीं था और सभी ने अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाने का प्रयास किया. इस दिग्गज गोलकीपर ने बताया कि सौभाग्य से टीम मेडल जीत पाई.
VIDEO | @ 𝟒 𝐏𝐚𝐫𝐥𝐢𝐚𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐒𝐭𝐫𝐞𝐞𝐭: "I think in the team... all the 11 members have played in the same scenario before and this was like a second opportunity. But definitely, before leaving for Paris, the team had that kind of confidence of being capable of winning… pic.twitter.com/O9iPjkVSrX
— Press Trust of India (@PTI_News) August 13, 2024
336 मैचों का शानदार करियर
पीआर श्रीजेश ने 2006 में भारत की सीनियर हॉकी टीम के लिए डेब्यू किया था. मगर 2011 के बाद वो कभी टीम से बाहर नहीं हुए और अपने 18 साल के करियर में उन्होंने 336 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. वो 4 बार ओलंपिक खेलों में भाग ले चुके हैं और दो बार मेडल भी जीता है. इस दौरान उन्हें 'द वॉल' के नाम से भी पहचाना गया क्योंकि उनके रहते गोल दागने में विपक्षी टीमों के पसीने छूट जाते थे.
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