आसान नहीं है नीरज चोपड़ा होना! ट्रेनिंग से लेकर डाइट तक, जानें जैवलिन थ्रोअर बनने के लिए क्या-क्या है ज़रूरी
जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस के अलावा अडिशनल एकसरसाइज ज्यादा करनी पड़ती है. हफ्ते में 3 दिन ही जैवलिन फेंकने की प्रैक्टिस करनी होती है.
पंचकुला: टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने भाला फेक प्रतियोगिता यानी जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीत कर इतिहास रच दिया है. हर ओर उन्हीं की चर्चा हो रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खेल के लिए किसी खिलाड़ी को कितनी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. किस तरह से तैयारी होती है? और क्या है इस खेल की बारीकियां?
इन सभी सवालों के जवाब कोच नसीम अहमद ने दिए हैं. एबीपी न्यूज़ को उन्होंने बाताया कि जेवलिन थ्रो, ट्रैक एंड फील्ड में थ्रो इंवेट में आता है. हैमर थ्रो, जैवलिन थ्रो, डिसकस थ्रो में आता है.
कितनी तरह का होता है जैवलिन
जैवलिन तीन प्रकार के होते हैं. इनका 600 ग्राम, 700 ग्राम और 800 ग्राम वज़न होता है.
जैवलिन थ्रो के लिए खिलाड़ी का पहले पूरा प्रशिक्षण होता है. उनकी बाजू की लंबाई अहम होती है. खिलाड़ी को सबसे पहले स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दी जाती है. उसके लिए जिम और एक्सरसाइज करनी होती है. पैगिंग थ्रो होता है, स्टेंडिग थ्रो होता है फिर रनवे से खिलाड़ी थ्रो करता है. जैवलिन थ्रो के लिए ग्राउंड ग्रासी होना चाहिए अगर ग्राउंड सूखा होगा तो खिलाड़ी की 7 या 8 थ्रो में जैवलिन टूट जाएगा.
कैसी होती है डाइट
खिलाड़ी को डाईट का खास ध्यान रखना होता है. प्रोटिन की मात्रा ज्यादा होनी चाहिए. वेज या नॉन वेज का कोई चक्कर नहीं है. प्रोटिन, विटामिन और कारबोहाईड्रेट लेना होता है.
जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस के अलावा अडिशनल एकसरसाइज ज्यादा करनी पड़ती है. हफ्ते में 3 दिन ही जैवलिन फेंकने की प्रैक्टिस करनी होती है. उसके इलावा हफ्ते के बाकी दिन कोर एकसरसाइज करनी होती है. एक दिन जैवलिन थ्रो करने के बाद अगले दिन जिम करना होता है. हर दिन हर मसल पर ध्यान देना होता है. जैवलिन को 100 फीसदी दे पाए इसलिए खिलाड़ी को हर मसल पर काम करना पड़ता है.
कोच नसीम अहमद ने कहा कि जैवलिन थ्रोअर बनाना आसान नहीं है ये एक टेक्निकल इंवेंट है. इसके लिए प्रोपर इक्युपमेंट और प्रोपर ग्राउंड चाहिए. उन्होंने कहा कि हरियाणा में बहुत टैलेंट है, सभी माता पिता अपने बच्चों को लेकर आएं और जेवलिन थ्रो करने के लिए प्रेरित करें. सरकार से कहना चाहता हूं कि जैवलिन में होने वाली इंजरी के लिए डाक्टर की बहुत जरूरत है और खिलाड़ियों के लिए हास्टल की बहुत जरूरत है.