Indian Wrestlers in Olympics: मास्टर चंदगीराम का सफर प्रेरणादायी, शाकाहारी पहलवान बनकर ओलंपिक में दिखाया दम! कुश्ती में लाए क्रांति
Indian Wrestlers in Olympics: ओलंपिक में भारतीय पहलवानों से देश को पदक की बहुत उम्मीदें रहती हैं. 1970 के दशक में एक पहलवान ऐसा भी था जिसने ओलंपिक में शाकाहारी पहलवान के तौर पर अपना दम दिखाया था.
Chandgi Ram Kaliraman Biography: आज के दौर में कुश्ती ओलंपिक खेलों में भारत के लिए सफल खेलों में से एक है. हर भारतीय को भारतीय पहलवानों से पदक की काफी उम्मीदें रहती हैं. देश में कुश्ती का इतिहास भी काफी पुराना है. देखा जाए तो भारत के हरियाणा राज्य में कुश्ती को लेकर सबसे ज्यादा दीवानगी है. यही वजह है कि कोई भी खेल हो भारतीय कुश्ती टीम में ज्यादातर हरियाणा के पहलवान ही नजर आते हैं. ऐसे ही एक मशहूर पहलवान हरियाणा से हैं. इनका नाम है मास्टर चंदगीराम कालीरामण. इन्होंने अपनी कुश्ती से देश का नाम काफी ऊंचा किया है. इसके अलावा चंदगीराम कालीरामण ने कुश्ती में क्रांति लाने का भी काम किया है.
1961 के राष्ट्रीय चैंपियन थे चंदगीराम कालीरामण
चंदगीराम कालीरामण का जन्म 9 नवंबर 1937 को हरियाणा के हिसार के सिसई गांव में हुआ था. उन्होंने 21 साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी. वे 1961 में राष्ट्रीय चैंपियन बने. चंदगीराम कालीरामण जी ने भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट में सेवा की. चंदगीराम कालीरामण जी के नाम कई खिताब और पदक भी हैं.
चंदगीराम कालीरामण जी के नाम कई खिताब और पदक
1960 के दशक में चंदगीराम कालीरामण जी एक प्रमुख भारतीय पहलवान थे, जिन्होंने हिंद केसरी, भारत केसरी, भारत भीम, रुस्तम-ए-हिंद और महा भारत केसरी जैसे प्रमुख खिताब जीते. चंदगीराम कालीरामण को 1969 में अर्जुन पुरस्कार और 1971 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1970 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता और 1972 के ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
शाकाहारी पहलवान के तौर पर जाने जाते थे चंदगीराम कालीरामण जी
चंदगीराम कालीरामण ने म्यूनिख ओलंपिक 1972 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. लेकिन शुरुआत में भारतीय कुश्ती संघ ने उन्हें ओलंपिक के लिए नहीं चुना था. बाद में जब इस बारे में प्रमुख अखबारों में खबर छपी और आलोचना हुई तो उन्हें म्यूनिख ओलंपिक 1972 में भेजा गया. वहां जाकर विदेशी पहलवान यह जानकर हैरान रह गए कि चंदगीराम कालीरामण शाकाहारी पहलवान हैं. जिसके बाद उन्हें शाकाहारी पहलवान के तौर पर एक अलग पहचान मिली.
चंदगीराम कालीरामण जी ने कुश्ती में ला दी क्रांति
1997 में, चंदगीराम ने भारत में महिला कुश्ती को लोकप्रिय बनाने का प्रयास शुरू किया. उन्होंने अपनी बेटियों सोनिका और दीपिका को कुश्ती में शामिल किया और भारत का पहला महिला कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र, चंदगीराम अखाड़ा स्थापित किया. शुरुआती विरोध और कठिनाइयों के बावजूद, चंदगीराम ने महिलाओं के प्रदर्शन मैचों के माध्यम से कुश्ती के क्षेत्र में बदलाव लाने का प्रयास किया.
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