जिनसे है मेडल की उम्मीद: छोटे से गांव से ओलंपिक खेलने वाले तीसरे खिलाड़ी बनेंगे रवि दहिया
Tokyo Olympic 2020: रवि दहिया ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने वाले नहरी गांव के तीसरे खिलाड़ी बनने जा रहे हैं.रवि दहिया से गांव वालों को देश के लिए मेडल जीतने की उम्मीद है.
Tokyo Olympic 2020: हरियाणा के छोटे से गांव नहरी में करीब सात हजार लोग रहते हैं. नहरी गांव से पहलवान रवि दहिया टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने जा रहे हैं. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि रवि दहिया इस छोटे से गांव के तीसरे ऐसे पहलवान हैं जो कि ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने जा रहे हैं.
नहरी गांव से 2012 लंदन ओलंपिक में अमित दहिया भी देश का प्रतिनिधित्व किया था. सबसे बड़ी बात ये है कि अमित और रवि दोनों ही पहलवानों ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश के लिए मेडल हासिल किया है.
इस बार फ्री स्टाइल कुश्ती के 57 किलोग्राम वर्ग में रवि दहिया से मेडल की उम्मीद है. फिलहाल रवि दहिया शानदार फॉर्म में चल रहे हैं. 57 किलोग्राम कैटेगरी के जो पहलवान है उनके तुलना में रवि की हाइट ज़्यादा है. हाल ही में रवि दहिया ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद रूस में ट्रेनिंग भी की है. इसलिए बजरंग पुनिया के साथ साथ रवि दहिया से भी मेडल की उम्मीद काफी ज्यादा है.
रवि के लिए नहरी गांव से टोक्यो तक का सफर तय करना आसान नही था. एक किसान परिवार में पले बढ़े रवि ने अपने पिता के साथ खेती करने के साथ गांव में ही पहलवानी शुरू की. देसी तौर तरीकों से ही उनका सफर शुरू हुआ और मिट्टी में ही पहले तीन चार साल ट्रेनिंग के बाद छत्रसाल स्टेडियम पर रवि ने सतपाल सिंह से ट्रेनिंग हासिल की.
पूरे गांव को है मेडल की उम्मीद
रवि के पिता राकेश दहिया ने कहा, ''नहरी गांव के बच्चों में कुश्ती को लेकर जुनून काफी ज्यादा है. लेकिन सबको 60/70 किलोमीटर दूर जाकर अभ्यास करने का मौका नही मिलता है. इसलिए बहुत सारे बच्चें ऐसे है जिनको आगे की ट्रेनिंग के मौके नहीं मिलते है बावजूद इसके की वे काफी प्रतिभाशाली है. रवि जैसे पहलवान इसके आगे और भी सामने आ सकते है अगर सरकार यहां कोई ट्रेनिंग अकादमी शुरू करे.''
पूरे गांव अब उम्मीद में है कि रवि दहिया देश के पदक जीतकर लाएंगे. पदम दहिया जो कि रवि को बचपन से जानते है, उन्होंने कहा, ''रवि का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट ये है कि वो आखिर तक हार मानने को तैयार नहीं होते है.''
रवि के पड़ोसी रविंद्र दहिया ने कहा, ''बचपन से ही जो इतने मुश्किलों का सामना करते हुए इतने लंबे सफर तय किये उनके नाम एक मैडल तो पक्का है.''
बता दें कि भारतीय कुश्ती संघ ओलंपिक से पहले रूस में पहलवानों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग कैम्प का आयोजन किया था. वजह ये है कि पूर्वी यूरोपीय जो देश है कुश्ती में उनको सुपर पावर माना जाता है. रूस भी इसमे शामिल है. इस ट्रेनिंग कैम्प के बाद और बेहतरीन तैयारियों के साथ खिलाड़ी अब टोक्यो रवाना होंगे.
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