Tokyo Olympic 2021: रवि दहिया के लिए मुश्किल भरा रहा हरियाणा के नहरी गांव से टोक्यो ओलंपिक तक का सफर
Tokyo Olympics 2020: नहरी गांव से 2012 लंदन ओलंपिक में अमित दहिया भी देश का प्रतिनिधित्व किया था. सबसे बड़ी बात ये है कि अमित और रवि दोनों ही पहलवानों ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के मेडल्स देश के लिए जीता है.
Tokyo Olympics 2020: भारतीय पहलवान रवि दहिया ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे पहलवान बन गए हैं. उन्होंने 57 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल में कजाखस्तान के नूरइस्लाम सानायेव को हराया. चौथी वरीयता प्राप्त भारतीय 2.9 से पीछे था, लेकिन दहिया ने वापसी करते हुए अपने विरोधी के दोनों पैरों पर हमला किया और उसके गिरने से जीतने में कामयाब रहे. इससे पहले सुशील कुमार ने 2012 लंदन ओलंपिक में फाइनल में जगह बनाकर रजत पदक जीता था. दहिया ने इससे पहले दोनों मुकाबले तकनीकी दक्षता के आधार पर जीते थे.
रवि की जीत पर सोनीपत के नगरी गांव में छाई खुशी
रवि दहिया के सेमीफाइन में जीत की तस्वीर टेलीविजन पर देखते ही हरियाणा के सोनीपत स्थित उनके नहरी गांव में जश्न का माहौल दिखा. रवि दहिया के घर में टेलीविजन देखते हुए लोग रवि की जीत के बाद तालियां बजाने लगे. इस मौके पर रवि दहिया के पिता ने कहा- "वह आज दिवाली जैसा महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रवि ने हरियाणा, नहरी गांव और देश को गौरवान्वित कर दिया है. रवि की जीत की भारत की जीत है." उन्होंने आगे कहा कि इतिहास कल लिखा जाएगा और रवि गोल्ड मेडल लेकर आएगा.
नहरी गांव टोक्यो ओलंपिक का सफर
रवि दहिया हरियाणा के नहरी गांव में रहते हैं, जहां पर करीब 7 हजार लोग रहते हैं. रवि के लिए नहरी गांव से टोक्यो तक का सफर तय करना आसान नही था. एक किसान परिवार में पले-बढ़े रवि अपने पिता के साथ खेती करने के साथ साथ गांव में ही पहलवानी शुरू की. देसी तौर तरीकों से ही शुरू हुआ अभ्यास और मिट्टी में ही पहले तीन चार साल ट्रेनिंग के बाद छत्रसाल स्टेडियम पर रवि ने सतपाल सिंह से ट्रेनिंग लिया.
रवि के पिता राकेश दहिया ने कहा- " नहरी गांव के बच्चों में कुश्ती को लेकर जुनून काफी ज्यादा है. लेकिन सबको 60/70 किलोमीटर दूर जाकर अभ्यास करने का मौका नही मिलता है, इसीलिए बहुत सारे बच्चें ऐसे है जिनको आगे की ट्रेनिंग के मौके नही मिलते है. इसके बावजूद वे काफी प्रतिभाशाली है. रवि जैसे पहलवान इसके आगे और भी सामने आ सकते हैं, अगर सरकार यहां कोई ट्रेनिंग अकादमी शुरू करे."
नहरी गांव से 2012 लंदन ओलंपिक में अमित दहिया भी देश का प्रतिनिधित्व किया था. सबसे बड़ी बात ये है कि अमित और रवि दोनों ही पहलवानों ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के मेडल्स देश के लिए जीता है.
ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे पहलवान बने दहिया
के. डी. जाधव भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान थे, जिन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक हासिल किया. सुशील ओलंपिक में दो व्यक्तिगत स्पर्धा के पदक जीतने वाले अकेले भारतीय थे लेकिन बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू ने कांस्य जीतकर बराबरी की. लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने भी कांस्य पदक जीता था. वहीं साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में कांस्य पदक हासिल किया था.
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