Paris Olympics 2024: ओलंपिक में 5 ही रिंग क्यों होती हैं? जानिए उनका मतलब और पांच रंगों की कहानी
Paris Olympics 2024: 5 गोलाकार रिंग ओलंपिक खेलों का प्रतीक होती हैं. यहां आप जान सकते हैं कि ओलंपिक्स में 5 ही रिंग क्यों होती हैं और इन्हें किसने बनाया था?
Paris Olympics 2024: विश्व भर में इन दिनों पेरिस ओलंपिक्स 2024 की तैयारियां जोरों पर हैं. 2024 के ओलंपिक खेल 26 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलेगा और इनमें करीब 10 हजार एथलीट भाग लेने वाले हैं. मगर इतिहास पर नजर डालें तो ओलंपिक खेलों की शुरुआत 1896 में हुई थी और हम लंबे अरसे से 5 गोलाकार रिंग देखते आ रहे हैं, जो इन खेलों का प्रतीक होती हैं. आज इन खेलों को शुरू हुए एक सदी से भी ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर 5 ही रिंग क्यों और इनका मतलब क्या होता है?
क्या होता है ओलंपिक रिंग का मतलब?
इन 5 रिंग का रंग बाएं से दायें क्रम में नीला, पीला, काला, हरा और लाल होता है. दरअसल इन 5 रिंग की रचना अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ (IOC) के पूर्व अध्यक्ष पिएर डू कूबर्टिन ने की थी. ये पांच गोले ओलंपिक मूवमेंट का प्रतीक हैं, जो सालों पहले चलाई गई थी. ओलंपिक रिंग दुनिया के 5 बड़े महाद्वीपों का प्रतीक हैं. ये पांच महाद्वीप इस प्रकार हैं: अफ्रीका, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप के आसपास आने वाले सभी देशों को एक ही महाद्वीप के रूप में गिना गया है.
पांच अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल क्यों?
वहीं रिंग में पांच अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल होना भी हमारे लिए किसी जटिल सवाल की भांति है. नीला, पीला, काला, हरा और लाल रंग और साथ में सफेद बैकग्राउंड इसलिए ओलंपिक रिंग में लाया गया था क्योंकि ये सभी रंग दुनिया के लगभग हर देश के झंडे में मिल ही जाते हैं. सभी देशों की एकता और अखंडता बनाए रखने हेतु इन 5 रंगों का इस्तेमाल किया गया था. ये पांच गोले दुनिया भर से खेलों में भाग लेने आ रहे एथलीटों का भी प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं.
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