लखनऊ. हाल ही में पंजाब की जेल से बांदा जेल में लाए गए माफिया-राजनीतिक नेता और मऊ सीट से बसपा विधायक मुख्तार अंसारी की उम्मीदों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. यहां हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मुख्तार अंसारी को हाल में तीन मामलों में बरी किए जाने के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल की गई तीन अपीलों को मंगलवार को स्वीकार करते हुए अंसारी को नोटिस जारी किए हैं.


तीन हफ्ते बाद होगी सुनवाई
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर की गई तीन अलग-अलग अपीलों पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई की. अदालत इन अपीलों पर तीन हफ्ते बाद सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि लखनऊ की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने दिसंबर 2020 के आखिरी सप्ताह में बसपा विधायक अंसारी को तीन मामलों में सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. अदालत के इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने दलील देते हुए कहा कि इन मामलों में एक गवाह ने अंसारी के खिलाफ गवाही दी थी लेकिन अदालत ने उसके बयान पर भरोसा नहीं किया. सरकार ने दलील दी कि गैंगस्टर अधिनियम के एक मामले में उसी अदालत ने एक बार फिर गवाह के बयान को नहीं माना और अंसारी को बरी कर दिया.


अंसारी ने दी थी जेलर को जान से मारने की धमकी
अभियोजन पक्ष के मुताबिक लखनऊ के जेलर एस. के. अवस्थी ने 28 अप्रैल 2003 को मुख्तार अंसारी के खिलाफ आलमबाग थाने में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें लगाए गए आरोप के मुताबिक उन्होंने जब अंसारी से मिलने के लिए जेल आने वाले लोगों की तलाश करने का आदेश दिया तो अंसारी ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. इसके अलावा अंसारी ने उन पर पिस्तौल भी तान दी थी.


एक अन्य मामले में तत्कालीन उप महानिरीक्षक (कारागार) एस.पी. सिंह पुंडीर ने एक मार्च 1999 को लखनऊ के कृष्णा नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. तीसरे मामले में हजरतगंज पुलिस ने अंसारी को गैंगस्टर कानून के तहत निरुद्ध किया था.


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