Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड जिले के गढ़मुक्तेश्वर में महाभारत काल से चली आ रही दीपदान की प्रथा आज भी हिन्दू रीति रिवाज के साथ पूरी का जाती है. इस मौके पर लाखों की संख्या में लोग अपने दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए दीप दान करने आते हैं. कार्तिक स्नान से एक दिन पहले दीपदान की ये प्रथा निभाई जाती है. जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं और अपने संगे संबंधी जो स्वर्ग सिधार गए हैं उनकी याद में दीप दान करते हैं.
हापुड़ के गढ़गंगा में कार्तिक मेले में गंगा स्नान से एक दिन पहले दीपदान की ये प्रथा निभाई जाती है. इस दौरान अक्सर लोग अपनों को याद करते हुए भावुक भी हो जाते हैं. गुरुवार को हापुड़ के कार्तिक मेले में लाखों की संख्या में लोग दीपदान से लिए पहुंचे और इस परंपरा को निभाया.
दियों की रोशनी से जगमगाया गंगा घाट
गढ़मुक्तेश्वर पहुंचे लोगों ने जब अपनों की याद में दीपदान की परंपरा निभाई तो उस वक्त गंगा घाट ऐसा लग रहा था, जैसे आकाश से तारे धरती पर उतर आए हों. दीयों की रोशनी से गंगा घाट जगमगा उठता है. अलग अलग राज्यों से लाखों श्रद्धालु गढ़ गंगा में स्नान कर अपने दिवंगत परिजनों के नाम से दीपदान करने आए. जिन्होंने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा में दीपदान किया.
दीपदान के लिए गढ़मुक्तेश्वर पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की ओर से भी बड़े स्तर पर तैयारी की गई है. मेले में सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया तो वहीं दूसरी तरफ गंगा स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई. गंगा स्नान और दीपदान के लिए आए श्रद्धालु सतीश ने बताया कि हम यहां गढ़ गंगा आए हैं. हमने अपने पिताजी के नाम पर दीपदान किया है.
गढ़मुक्तेश्वर में दीपदान की परंपरा महाभारत काल से ही चली आ रही है. कहते हैं कि महाभारत के युद्ध में मारे गए हजारों सैनिक और असंख्य योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों की मौजूदगी में सर्वप्रथम चतुर्दशी को दीपदान किया था, तब से यह परंपरा चल रही है.
इनपुट- विपिन शर्मा
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